प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना: भारतीय कृषि में रूपांतरण की नयी आधारशिला
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PDDKY) 2025-26 से 2030-31 तक के छह-वर्षीय कालखंड में ₹24,000 करोड़ वार्षिक निवेश के माध्यम से 100 कम-उत्पादक कृषि जिलों को तीव्र विकास पथ पर लाने का प्रयास करती है। योजना के माध्यम से 1.7 करोड़ किसानों की आय, उत्पादकता व जलवायु-सहनीयता एकसाथ बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। नीचे प्रस्तुत विस्तृत विश्लेषण दर्शाता है कि यह पहल किस तरह कृषि क्षेत्र की क्षेत्रीय असमानताओं को पाट सकती है और किन चुनौतियों से जूझना होगा। pmindia.gov.in+2
1. योजना का विकासात्मक संदर्भ
1.1 कृषि क्षेत्र की संरचनात्मक चुनौतियाँ
भारत के कुल कृषि क्षेत्रफल में उत्पादन व ऋण प्रवाह के आधार पर गहराती क्षेत्रीय खाई स्पष्ट है; कई जिलों की गेहूँ-धान उपज देश के शीर्ष जिलों की तुलना में 40–60% कम है। साथ-ही-साथ फसल-पश्चात् क्षति, सूक्ष्म सिंचाई का अल्प विस्तार तथा सीमित भंडारण क्षमता किसानों की वास्तविक आय में लंबी कटौती करते हैं। indianexpress.com+3
1.2 आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम से प्रेरणा
PMDDKY का खाका नीति आयोग के आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP) से लिया गया है, जहाँ 49 सूचकांकों पर मासिक डेल्टा-रैंकिंग से प्रतिस्पर्धी सुधार को बल मिला। कृषि-विशेष 117 KPI लागू कर यह योजना वही तंत्र खेती-किसानी तक विस्तारित करती है। pmfias.com+2
2. योजना की रूपरेखा एवं प्रमुख विशेषताएँ
2.1 वित्तीय परिव्यय और अवधि
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कुल अवधि – 6 वर्ष (2025-26 से 2030-31) pmindia.gov.in
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वार्षिक केंद्रीय परिव्यय – ₹24,000 करोड़; केंद्र-राज्य साझेदारी 60:40 (उत्तर-पूर्व व हिमालयी राज्यों हेतु 90:10) indianexpress.com+1
2.2 लक्षित ज़िला चयन
100 ज़िलों का चयन तीन मानदण्डों पर होगा—(क) निम्न उत्पादकता, (ख) मध्यम फसल सघनता, (ग) औसत से कम कृषि ऋण प्रवाह। प्रत्येक राज्य से कम-से-कम एक ज़िला सम्मिलित होगा, समग्र संख्या नेट क्रॉप्ड एरिया व परिचालन जोत के अनुपात से तय होगी। pmindia.gov.in+3
2.3 अभिसरण की रणनीति
योजना 11 मंत्रालयों/विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं—जैसे पीएम-किसान, पीएम-कुसुम, पीएम-फसल बीमा, पीएम-कृषि-सिचाई—को एकीकृत कर संसाधनों का तिरछा वचनबद्धन रोकती है। इससे प्रशासनिक खर्च घटकर अधिक प्रभावी निवेश संभव होगा। pmindia.gov.in+3
2.4 बहु-स्तरीय संस्थागत ढाँचा
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राष्ट्रीय समिति—नीति आयोग की मार्गदर्शिका व समेकित मूल्यांकन pmindia.gov.in
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राज्य समिति—राज्यवार रणनीति व अंतर-विभागीय समन्वय slideshare.net
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जिला धन-धान्य समिति—कलेक्टर की अध्यक्षता एवं प्रगतिशील किसानों की भागीदारी से जिला कृषि एवं सहायक गतिविधि योजना (DAAAP) का तैयार होना pmindia.gov.in+1
2.5 पाँच प्रमुख उद्देश्य
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कृषि उत्पादकता में 15–20% वृद्धि pmindia.gov.in+1
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जल-मृदा संरक्षण और फसल विविधीकरण को बढ़ावा pmfias.com+1
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पंचायत/प्रखंड स्तर पर भंडारण क्षमता का विस्तार pmindia.gov.in+1
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सूक्ष्म-सिचाई व जल प्रबंधन आधारभूत ढाँचे का विकास indianexpress.com+1
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लघु-दीर्घकालीन कृषि ऋण की सहज उपलब्धता pmindia.gov.in+1

3. क्रियान्वयन तंत्र
3.1 जिला-स्तरीय योजना-निर्माण
DAAAP को स्थानीय कृषि-जलवायु आंकड़ों, बाजार माँग व ग्रामीण अधोसंरचना के आधार पर तैयार किया जायेगा। इस प्रक्रिया में कृषि विश्वविद्यालयों को तकनीकी ज्ञान-साझेदार बनाया गया है। slideshare.net+2
3.2 117 KPI आधारित निगरानी
प्रगति मापने के लिये डिजिटल डैशबोर्ड पर 117 सूचकांक—बीज प्रतिस्थापन दर, सिंचाई कवरेज, स्टोरेज यूटिलाइजेशन, ऋण-प्रवाह, महिला-FPO इत्यादि—मासिक दर्ज होंगे। KPI के अनुपालक जिलों को अतिरिक्त प्रोत्साहन अनुदान मिलेगा, जिससे प्रतिस्पर्धी सुधार तेज होगा। forumias.com+3
3.3 केंद्रीय नोडल अधिकारी व डेटा-गवर्नेंस
प्रत्येक ज़िले में केंद्रीय नोडल अधिकारी तैनात होंगे, जो मैदानी सत्यापन, समस्या-समाधान व रिपोर्टिंग की त्रि-स्तरीय कड़ी बनायेंगे। रीयल-टाइम डेटा गुणवत्ता हेतु जीआईएस-आधारित मॉड्यूलप्रयोग होगा, जिससे नीति निर्णय समयबद्ध व साक्ष्यों पर आधारित बनेगा। pmindia.gov.in+3
4. अपेक्षित परिणाम एवं संभावित प्रभाव
4.1 उत्पादकता वृद्धि
सूक्ष्म सिंचाई, उच्च उपज किस्में तथा क्षेत्र-विशिष्ट पोषण प्रबंधन से गेहूँ-धान उत्पादकता में अनुमानित 18-22% का सुधार संभव है। इससे राष्ट्रीय औसत उत्पादन सूचकांकों में उल्लेखनीय उछाल आ सकता है। lukmaanias.com+2
4.2 फसल विविधीकरण एवं जल–मृदा संरक्षण
कार्यान्वयन दिशानिर्देश दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, बागवानी व पशुपालन को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे जोखिम-विविधीकरण के साथ जल खपत 20% तक घट सकती है। प्राकृतिक व जैविक खेती के प्रसार से मृदा जैविक कार्बन में बढ़ोतरी और रासायनिक इनपुट लागत में कमी अपेक्षित है। pmfias.com+3
4.3 भंडारण एवं मूल्य संवर्द्धन
ब्लॉक एवं पंचायत स्तर पर गोदाम, शीत-श्रृंखला व प्राथमिक प्रोसेसिंग इकाइयों के निर्माण से फसलोपरांत हानि घटकर 7-8% रह सकती है, जो वर्तमान 12-15% के मुकाबले बड़ी उपलब्धि होगी। इससे बाजार मूल्य संवर्द्धन तथा ग्रामीण स्तर पर रोजगार बढ़ेगा। indianexpress.com+3
4.4 ऋण एवं वित्तीय समावेशन
क्रॉप लोन, पशुधन क्रेडिट व मैकेनाइजेशन लीजिंग के सुगम होने से लक्षित जिलों में कृषि ऋण-घनत्व 40% तक बढ़ने का अनुमान है। यह वृद्धि PM-किसान व PMJDY जैसी योजनाओं के साथ समेकित होकर वित्तीय समावेशन के द्वार विस्तृत करेगी। economictimes.com+3
5. चुनौतियाँ, जोखिम एवं समाधान
5.1 बहु-स्तरीय अभिसरण की जटिलताएँ
36 योजनाओं का समेकन फंड-बहिर्वाह पारदर्शिता व उत्तरदायित्व को जटिल बना सकता है। समाधानस्वरूप एकीकृत वित्त प्रबंधन प्रणाली व ऑडिट-ट्रेस मैप लागू करने की आवश्यकता है। iosrjournals.org+1
5.2 क्षमता निर्माण
कई लक्षित ज़िलों में तकनीकी कार्मिक व डिजिटल साक्षरता का अभाव है। विस्तार तंत्र, कस्टम-हायरिंग सेंटर व एफपीओ-आधारित परामर्श मॉडल द्वारा यह कमी पूरी की जा सकती है। iosrjournals.org+3
5.3 डेटा गुणवत्ता
KPI डैशबोर्ड सफलता का मेरुदंड है; निम्न-स्तरीय डेटा त्रुटि रैंकिंग को विकृत कर सकती है। जिला-स्तर पर GIS-सक्षम मोबाइल एप एवं सामुदायिक सत्यापन (social audit) अपनाना समाधान होगा। iosrjournals.org+3
5.4 जलवायु परिवर्तन अनुकूलन
बारिश आधारित क्षेत्रों में सूखा-सहनीय किस्में, वर्षा-जल संचयन व मौसम बीमा का अभाव योजनागत लक्ष्य को बाधित कर सकता है। राज्य कृषि विश्वविद्यालयों तथा निजी बीमा भागीदारी से इन जोखिमों को न्यून किया जा सकता है। lukmaanias.com+2youtube
6. तुलनात्मक विश्लेषण
ADP के 49 KPI मॉडल ने स्वास्थ्य-पोषण व शिक्षा में तेज सुधार दिखाया; वही प्रतिस्पर्धी ढाँचा कृषि क्षेत्र में भी समान गति उत्पन्न कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय दृष्टि से ब्राजील के ‘Territórios da Cidadania’ कार्यक्रम ने क्षेत्रीय कृषि-आधारित विकास हेतु बहु-तरीय अभिसरण का सफल उदाहरण प्रस्तुत किया, जिससे खाद्य-प्रसंस्करण व ग्रामीण क्रेडिट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। iosrjournals.org+2
7. नीति सुझाव व आगे का रास्ता
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डिजिटल भुगतान-लिंक्ड प्रोत्साहन—KPI लक्ष्य पूरा करने वाले जिलों को ट्रांसफर फंड की अतिरिक्त किस्त तत्काल निर्गत हो। pmindia.gov.in+1
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जलवायु-सहनीय कृषि पैकेज—कम वर्षा जिलों में मिलेट-आधारित प्रणाली व मृदा नमी प्रबंधन पर 10% अतिरिक्त सब्सिडी। deccanherald.com+1
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एकीकृत मूल्य श्रृंखला बोर्ड—तिलहन, दलहन व बागवानी के लिए राज्यवार कॉन्ट्रैक्ट-फार्मिंग गाइडलाइन विकसित हो। lukmaanias.com+1
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डेटा सुदृढ़ीकरण—रिमोट सेंसिंग व ड्रोन आधारित फसल कटाई आँकड़े KPI सत्यापन से जोड़ना। forumias.com+1
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लैंगिक समावेशन—महिला-FPO को 30% क्रेडिट लक्ष्य व संकुल आधारित प्रसंस्करण इकाइयों में प्राथमिकता। theuniqueacademy.com+1
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना भारतीय कृषि नीति में केंद्रीकृत वित्तीय अभिसरण और जिला-आधारित परिणाम-उन्मुख प्रतिस्पर्धा का साहसिक संयोजन प्रस्तुत करती है। यदि KPI डेटा-गवर्नेंस, क्षमता-निर्माण तथा जलवायु-सहनीय नवाचारों को समान प्राथमिकता दी गयी, तो यह योजना न केवल 100 लक्षित जिलों बल्कि समूचे ग्रामीण भारत को अधिक उत्पादक, विविध एवं टिकाऊ कृषि अर्थव्यवस्था में रूपांतरित कर सकती है।